272 लेटर! EC के बचाव में जज-जनरल-जेंटलमैन, कांग्रेस पर तीर पर तीर

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

चुनाव आयोग और कांग्रेस के बीच पिछले कुछ दिनों से तूफान चल रहा है। कांग्रेस ने EC पर ‘वोट चोरी’, ‘EVM गेम’, ‘सिस्टम मैच-फिक्सिंग’ जैसे आरोप लगा डाले। Twitter पर जैसे Democracy की पूरी season finale चल रही है।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई—Plot Twist! इसी विवाद के बीच देश की 272 बड़ी हस्तियों ने खुला पत्र जारी करके कांग्रेस की क्लास लगा दी है।

272 Signatories: Judges से लेकर Generals तक—एक Letter, सबका गुस्सा

इस ‘ऑल-स्टार कास्ट’ वाली टीम में शामिल हैं— 16 जज, 123 पूर्व नौकरशाह, 14 राजदूत, और 133 रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर्स

मतलब Judiciary भी, Bureaucracy भी, Diplomacy भी और Military भी… पूरा Avengers Assemble इकट्ठा हो गया! उनका कहना है— “कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं की इमेज खराब कर रही है, और ये ट्रेंड democracy के लिए किसी भी तरह से healthy नहीं है।”

‘जहरीली बयानबाजी’ वाला चुटीला वार

खुले पत्र में सबसे जोरदार लाइन थी— “लोकतंत्र पर हमला टैंक से नहीं, बल्कि टॉक्सिक बयानबाजी से हो रहा है।”

यानी अब democracy को खतरा किसी बाहरी enemy से नहीं, बल्कि अंदर के माइक्रोफोन-वाले ही दे रहे हैं।

पहले सेना, फिर अदालतें… अब EC—सवाल उठाने का सिलसिला never-ending

पत्र में नोट किया गया कि पहले Armed Forces पर सवाल, फिर Judiciary, फिर Parliament…और अब Election Commission।

लगता है कुछ नेताओं ने “अगर बात न बने तो संस्थाओं पर doubt करो” वाला shortcut formula पकड़ लिया है।

राहुल गांधी पर भी तंज—‘Accusation First, Evidence Never’

लेटर में बिना नाम लिए लेकिन साफ तौर पर कहा गया— “विपक्ष के बड़े नेता बिना सबूत EC पर आरोप लगा रहे हैं।”

यह सीधा Rahul Gandhi target विधा का व्यंग्य है। मतलब— “सबूत बाद में दिखाएँगे—जरूरत पड़ने पर!”

EC के सपोर्ट में 272 का स्कोर—Political Pitch पर बड़ा छक्का

ये खुला पत्र साफ संदेश देता है कि “Institutions पर शक करने से सियासत तो चल सकती है, लेकिन democracy हिल जाती है।” और विपक्ष को शायद अब अपनी strategy का review करना पड़ेगा।
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